
भारत विविधाताओ का देश है! हमारे देश में तमाम तरह के धर्मो, जातियों, पंथो और समुदायों के अलग-अलग लोग रहते है लेकिन ऐसी विविधता के बीच व्यक्तिगत पहचान की आवाज उठना भी स्वाभाविक है ! एक ऐसी ही आवाज बीते कुछ समय से भील समुदाय की ओर से उठाई जा रही है ! क्या है इनकी माँग इससे जुडी अन्य तथ्य जानेंगे आज के इस ब्लॉग में?
भील समुदाय का संक्षिप्त परिचय?
भारत के सबसे बड़े आदिवासी समुहो में से एक प्रमुख समूह है भील यह छत्तीसगढ़, गुजरात, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, राजस्थान और त्रिपुरा में मुख्य रूप से निवास करते है ! 2013 के एक आकड़े के अनुसार यह 1.7 करोड़ की आबादी के साथ सबसे बड़ा आदिवासी समूह है ! इस समूह के लोग धनुष चलाने में माहिर होते है तथा इस समूह के लोग को स्थानीय भूगोल का भी ज्ञान होता है ! इस समूह के लोग ‘गुरिल्ला युद्ध’ में भी माहिर होते है ! वर्तमान में इस समूह के लोग कृषि कार्यो में संलगन है ! भील पूर्व-आर्य जाति से सम्बंधित है जिसका जिक्र महाभारत और रामायण में भी मिलता है ! इस समूह के लोग भीली भाषा (इंडो-आर्यन भाषा) का प्रयोग करते है ! इनका प्रमुख त्यौहार बानेश्वर मेला है !
‘भील प्रदेश’ की मांग और उसका इतिहास क्या है ?
भारत के 4 राज्यों के 39 जिलों को मिलाकर एक अलग राज्य बनाने की मांग है ! जिसमे गुजरात के 16 जिला , राजस्थान के 10 जिला , मध्य प्रदेश के 7 जिला और महाराष्ट्र के 6 जिला को शामिल करने की मांग है ! प्रवासी लोगो को वापस लाने की मांग है और प्राकृतिक संसाधनों पर आदिवासी समुदायों का पहला अधिकार हो !
भील समाज सुधारक नेता गोविन्द गुरु ने ‘मानगढ़ नरसंहार(1913)’ के बाद पहली बार यह मांग उठाई थी ! और यह मांग आजादी के बाद भी उठती रही !
अलग राज्य की मांग क्यों ?
एतिहासिक रूप से भेदभाव के कारण यह मांग उठ रही है ! ब्रिटिश काल के दौरान भारत में ब्रिटिश सरकार के विरोधियो को अपराधी घोषित किया जाता था ! और इसी क्रम में 1857 की क्रांति के बाद कई समुदायों को जन्मजात अपराधी घोषित किया गया जिसे आपराधिक जनजाति अधिनियम 1871 के नाम से जाना जाता है ! जिससे इनको आज भी रोजगार आदि मिलने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है !

आजादी से पूर्व भील आबादी वाले क्षेत्र एक साथ थे लेकिन आजादी के बाद राजनैतिक लाभ के कारण इसे अलग-अलग राज्यों में बाँट दिया गया, जिसके कारण भील समुदाय के लोगो का विकास बाधित हुआ ! सरकार के द्वरा आदिवासियों के लिए कई कानून और योजनाये लागु की गई और कई समितियों ने रिपोर्ट दी लेकिन जमीनी स्तर पर उनका क्रियान्वयन नहीं हो पाया !
राज्य के गठन के पक्ष में क्या तर्क दिए जा रहे है ?
इससे आदिवसी समुदायों का राष्ट्रिय स्तर पर प्रतिनिधित्व सुनिश्चित होगी ! उनके भाषा और संस्कृति का संरक्षण को बल मिलेगा ! इससे इन समुदायों को सशक्त बनाने और इनका आर्थिक विकास सुनिश्चित करने में सहयता मिलेगी ! इसके उदहारण के तौर पर उतराखंड और छत्तीसगढ़ को पेस किया जाता है ! उत्तराखंड जो उत्तर प्रदेश से अलग होके बना था 2004-05 के दौरान उत्तराखंड का विकास दर 9.31% था जबकि उत्तरप्रदेश का विकास दर इसी दौरान मात्र 6.29% रहा था ! इसी प्रकार छत्तीसगढ़ जो मध्यप्रदेश से अलग हुआ था 2008-09 के दौरान छत्तीसगढ़ का विकास दर 7.35% था जबकि इसी दौरान मध्यप्रदेश का विकास दर 4.89% रहा था ! इन आकड़ो से इनके मांग को और बल मिलता है !
राज्य के गठन के खिलाफ क्या तर्क दिए जा रहे है ?
भारत में जाति, धर्म या समुदाय के आधार पर राज्य की गठन से राष्ट्र की एकता प्रभावित होगी इससे क्षेत्रवाद को भी बढ़ावा मिलेगा ! इससे लोगो में भारतीयता की भावना की कमी आएगी ! अन्य आदिवासी समुदाय भी भविष्य में इस प्रकार की मांग कर सकते है !