
पश्चिमी घाट (Western Ghats) पर्यावरण संरक्षण और आर्थिक विकास इन दोनों को अक्सर एक-दुसरे के विरोधाभाषी माना जाता है! ऐसे में ये सवाल आता है की इन दोनों में क्या ज्यादा जरुरी है ! पर्यावरण ज्यादा जरुरी है या फिर आर्थिक विकास , बीते दिनों केन्द्र सरकार ने पश्चमी घाट के संवेदनशील जैव विविधता को बचाने के लिए एक मसौदा अधिसूचना जारी की थी , लेकिन कुछ राज्यों द्वरा इस अधिसूचना का विरोध किया जा रहा है , ऐसे में सवाल यह है की ये राज्य इस अधिसूचना का विरोध क्यों कर रहे है!
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पश्चिमी घाट (Western Ghats) क्या है?
पश्चिमी घाट (Western Ghats) जिसे सह्याद्री हिल्स के नाम से भी जाना जाता है भारत में वनस्पति और जीवो के मामले में सबसे समृद्ध क्षेत्रों में से एक है ! इसका विस्तार भारत के पश्चमी तट के सामानांतर गुजरात से केरल तक है ! यह गुजरात , महाराष्ट्र , कर्नाटक , गोवा , केरल और तमिलनाडु के कुछ हिस्सों के पहाड़ो की एक श्रृंखला से मिलकर बनता है ! इसे 2012 में यूनेस्को द्वरा विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता मिली है ! यूनेस्को के एक अकड़े के मुताबिक यह लगभग 140,000 वर्ग किमी. के क्षेत्र में फैला हुआ है !
क्यों महत्वपूर्ण है पश्चिमी घाट (Western Ghats)?
भारत के कुल भूमि क्षेत्र का केवल 6% भाग पर यह फैला हुआ है , लेकिन महत्वपूर्ण बात यह है की यहाँ भारत के सभी पौधो , मछलियो , पक्षिओ और स्तनपायी प्रजातियो का 30% से अधिक हिस्सा निवास करती है ! यह दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण जैव विविधता हॉटस्पॉट में से एक है , यहाँ 5000 से अधिक फुल के पौधों की प्रजातियाँ , 139 स्तनधारियो की प्रजातियाँ , 508 पक्षिओ और 179 उभयचरो की प्रजातियाँ मौजूद है , साथ ही यहाँ दुनियाकी 325 से अधिक संकटग्रस्त प्रजातियाँ भी निवास करती है !
पश्चिमी घाट (Western Ghats) के समक्ष मौजूदा खतरा क्या है?
विकासात्मक दवाब : इस क्षेत्र में कृषि क्षेत्र का लगातार विस्तार हो रहा है औरक्षेत्र का शहरीकरण हो रहा है जिससे वनों की कटाई हो रही है !इस क्षेत्र में लगभग 50 मिलियन लोग रहते है , जिसके कारण इसके इकोलॉजी पर दवाब बढ़ रहा है ! जनसंख्या में बढ़ोतरी के कारण क्षेत्र में विकास का अधिक दवाब है ! निर्वनीकरण और आक्रमणकारी पौधों की प्रजाति में बढ़ोतरी के कारण वन्यजीव गलियारों और उसके आवासों में कमी आ रही है ! जलवायु परिवर्तन के कारण 2018-21 के बीच केरल में तीन बार बाढ़ आयी और कोंकण क्षेत्र में कई भूस्खलन की घटना हुई है जिसके कारण यहाँ निवास केने वाले जीव प्रभावित होती है , इसके अलावा अरब सागर के गर्म होने से चक्रवात भी तेज हो रही है !

औधोगीकरण का खतरा : व्यवस्थित नीति के आभाव के कारण प्रदूषणकारी उधोगो और खदानों आदि की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है ! जिसके कारण इस क्षेत्र को काफी नुकसान झेलना पर रहा है !
सरकार के प्रयास?
गाडगिल समीति (2010) : सरकार ने ने सर्वप्रथम साल 2010 में गाडगिल समीति का गठन किया था , जिसे पश्चमी घाट पारिस्थिकी विशेषज्ञ पैनल के नाम से जाना गया ! इस समीति ने साल 2011 में अपनी रिपोर्ट पेश की जिसमे यह कहा गया की पश्चमी घाट के समग्र क्षेत्र को ‘पारिस्थिक रूप से संवेदनशील क्षेत्र’ घोषित किया जाना चाहिए ! और कुछ निश्चित क्षेत्रो में ही सीमित विकास की अनुमति दी जानी चाहिए !
कस्तूरीरंगन समीति (2012) : साल 2012 में सरकार ने कस्तूरीरंगन समीति का गठन किया जो अपनी रिपोर्ट साल 2013 में पेश की इस समीति ने अपनी सिफारिश में विकास और पर्यावरण को संतुलित करने का प्रयास किया ! इस समीति ने सुझाव दिया की पश्चमी घाट के समग्र क्षेत्र को सवेदनशील घोषित करने के बजाय इसके सिर्फ 37% क्षेत्र को ही संवेदनशील क्षेत्र घोषित किया जाय ! खनन , उत्खनन और बालू खनन पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जाय ! विकास परियोजना को मंजूरी देने से पूर्व जंगलो और वन्यजीव पर उसके प्रभाव का अध्ययन की जाना चाहिए !
चुनौती क्या है?
कस्तूरीरंगन समीति के रिपोर्ट के बाद चार बार मसौदा अधिसूचना जारी किया जा चूका है लेकिन किसी को लागु नही किया जा सका !
केंद्र सरकार की नई अधिसूचना क्या है?
इस नई अधिसूचना में पांच राज्यो : गुजरात , महाराष्ट्र , कर्नाटक , गोवा और तमिलनाडु के 46,832 वर्ग किमी. को संवेदनशील क्षेत्र घोषित किया गया है ! इसमें केरल शामिल नहीं है वह पहले ही संवेदनशील क्षेत्र के सीमांकन की प्रक्रिया पूरी कर ली है ! संवेदनशील क्षेत्र में केरल का 9993.7 वर्ग किमी. क्षेत्र शामिल है वही , नई अधिसूचना के मुताबिक गुजरात के 449 वर्ग किमी. , महाराष्ट्र के 17,340 वर्ग किमी. , कर्नाटक के 20,668 वर्ग किमी. , गोवा के 1,461 वर्ग किमी.और तमिलनाडु के 6,914 वर्ग किमी. क्षेत्र को शामिल किया गया है !
क्या-क्या प्रतिबंधित होगा?
नई अधिसूचना के मुताबिक संवेदनशील क्षेत्र में खनन , उत्खनन और रेत खनन पर पूर्ण प्रतिबंध होगा ! मौजूदा खानों को अंतिम अधिसूचना के पाँच वर्ष के भीतर चरणबद्ध तरीके से बंद करने होंगे ! नई थर्मल पॉवर परियोजनाओ की स्थापना और मौजूदा संयंत्रो के विस्तार पर प्रतिबंद्ध लगेगी ! सभी नए रेड श्रेणी के उधोगो पर प्रतिबंध होगी ! इस क्षेत्र में होनेवाले गतिविधियों का प्रदूषण सूचकांक 60 या इससे अधिक नही होने चाहिए ! नई टाउनशिप परियोजना की शुरुआत पर रोक लग गई है !
अधिसूचना का विरोध क्यों?
राज्यों का कहना है की यह केवल समृद्ध जैव विविधता का क्षेत्र नहीं है , बल्कि इस क्षेत्र में 50 मिलियन लोग भी रहते है ! इस क्षेत्र के कई लोगो की आजीविका इस क्षेत्र के उधोग और आर्थिक गतिविधियों पर निर्भर है ! इन गतिविधियों पर पूर्ण प्रतिबंध इनलोगों के आजीविका को प्रभावित करेगा ! इससे इस क्षेत्र का विकास भी प्रभावित होगा !